Sunday, April 15, 2012

2012_102任甘丹赤巴日宗仁波切講經法會

नीलकण्ठ धारनी

नीलकण्ठ धारनी

नमो रत्नत्रयाय नमह् अर्य अवलोकितेश्वराय

बोधिसत्त्वाय महासत्वाय महाकारुनिकाय

ॐ सर्वरभय सुधनदस्ये नमस्क्र्त्वा इमम्

आर्यावलोकितेश्वर रंधव नमो नरकिन्दि।

ह्रिह् महावधसम सर्व अथदु शुभुं अजेयं।

सर्व सत्य नम वस्त्य नमो वाक मार्ग दातुह्।


ॐ अवलोकि लोचते करते ए ह्रिह्


महाबोधिसत्त्व। सर्व सर्व मल मल महिम हृदयम्


कुरु कुरु कर्मुं धुरु धुरु विजयते महाविजयते


धर धर धिरीनिश्वराय चल चल मम विमल मुक्तेले


एहि एहि शिन शिन आरषं प्रचलि विष विषं प्राशय |


हुरु हुरु मर हुलु हुलु ह्रिह्


सर सर सिरि सिरि सुरु सुरु बोधिय बोधिय


बोधय बोधय । मैत्रिय नारकिन्दि


धर्षिनिन भयमान स्वाहा सिद्धाय स्वाहा


महासिद्धाय् स्वाहा सिद्धयोगेश्वराय स्वाहा


नरकिन्दि स्वाहा मारणर स्वाहा


शिर संह मुखाय स्वाहा सर्व महा असिद्धाय स्वाहा


चक्र असिद्धाय स्वाहा पद्म हस्त्राय स्वाहा


नारकिन्दि वगलय स्वाहा मवरि शन्खराय स्वाहा


नमः रत्नत्रयाय नमो आर्यवलोकितेश्वराय स्वाहा


ॐ सिधयन्तु मन्त्र पदाय स्वाहा 

भैषज्यगुरु


नमो भगवते भैषज्यगुरु वैडूर्यप्रभराजाय
तथागताय अर्हते सम्यक्संबुद्धाय तद्यथा
ॐ भैषज्ये भैषज्ये भैषज्य समुद्गते स्वाहा

तद्यथा ॐ भैषज्ये भैषज्ये भैषज्य समुद्गते स्वाहा